सागर विश्व मानव विकास, शिक्षा एवं जनसेवा संस्थान
राष्ट्र व जनहित को समर्पित
कला, संस्कृति, शिक्षा, साहित्य व समाजसेवा का अनूठा संगम
भारतीय कला, संस्कृति, शिक्षा, साहित्य व समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर स्वदेश संस्थान की स्थापना की गई, जिससे विश्व मानव विकास, विश्वशांति, समाज सेवा, शिक्षण-प्रशिक्षण, महिला उत्थान, राष्ट्रीय एकता व भाईचारा, कला व संस्कृतियों का विकास आदि मानव व राष्ट्रहित के रूप में कराया जा सके।
सहयोग
प्रार्थना
स्वयंसेवा
दान
Swadesh Sansthan, India
स्वदेश संस्थान, भारत
(सागर विश्व मानव विकास, शिक्षा एवं जनसेवा संस्थान) (कला, संस्कृति, शिक्षा, साहित्य व समाजसेवा का अनूठा संगम)
भारतीय कला, संस्कृति, शिक्षा, साहित्य व समाज सेवा की भावना से प्रेरित होकर स्वदेश संस्थान की स्थापना की गई, जिससे विश्व मानव विकास, विश्वशांति, समाज सेवा, शिक्षण-प्रशिक्षण, महिला उत्थान, राष्ट्रीय एकता व भाईचारा, कला व संस्कृतियों का विकास आदि मानव व राष्ट्रहित के रूप में कराया जा सके।
जिस प्रकार सागर के अंक में नदियां समाहित होती हैं उसी प्रकार इस ट्रस्ट के निर्माण में समाज व देश के गणमान्य व्यक्तियों, पीड़ित व्यक्तियों, समाज सेवियों, कलाकारों, विद्वानों, अर्थशास्त्रियों व शिक्षाशास्त्रियों से चर्चा व परिचर्चा करके उनके विचारों को समाहित किया गया है। इसलिए मानव के सर्वांगीण विकास, जनहित एवं जनकल्याण हेतु लोगों की इच्छा की पूर्ति हेतु मैंने सागर विश्व मानव विकास, शिक्षा एवं जनसेवा संस्था (SAGAR WORLD HUMAN DEVELOPMENT EDUCATIONAL SOCIAL INSTITUTE ) संक्षिप्त में (SWHDES INSTITUTE) (स्वदेश संस्थान) ट्रस्ट बनाने का संकल्प लिया है।
स्वदेश संस्थान भारत सरकार नीति आयोग द्वारा रजिस्टर्ड है।
अयोध्या कला संस्कृति महाकुंभ
Sagar Kala Bhavan
सागर कला भवन
जिसका नाम व काम 2022 में वर्ल्ड ग्रेटेस्ट रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। इसकी स्थापना में सदस्य कलाकारों द्वारा इसमें संग्रहित पेन्टिंग व कलाकृतियां सप्रेम अनुदान से प्राप्त हुई थी।
इसी स्थापना दिवस पर कला गुरु स्वामी महेश योगी ने कहा था कि नदी रूपी कलाकारों का महासागर बनेगा यह कला भवन।
इस भविष्यवाणी को सभी समाचार पत्रे ने प्रकाशित भी किया जो यह सपना अब साकार हो रहा है।
popular causes
शिल्प में ऐसी शक्ति होनी चाहिए कि वह लोगों को संकीर्ण सीमाओं से ऊपर उठाकर उसे ऐसे ऊँचे स्थान पर पहुँचा दे जहाँ मनुष्य केवल मनुष्य रह जाता है। भारत के शिल्प और शिल्पकार यहाँ की लोक एवं शास्त्रीय परंपरा का अभिन्न अंग हैं। यह ऐतिहासिक समांगीकरण कई हज़ार वर्षों से विद्यमान है। कृषि अर्थव्यवस्था में आम लोगों और शहरी लोगों, दोनों के लिए प्रतिदिन उपयोग के लिए हाथों से बनाई गई वस्तुएँ शिल्प की दृष्टि से भारत की सांस्कृतिक परंपरा को दर्शाती हैं।
शिक्षा का वास्तविक अर्थ ज्ञान प्राप्ति है। इसमें न केवल एकल व्यक्ति के लिए ज्ञानार्जन का आधार साधन है, बल्कि यह सामाजिक, आर्थिक, और राष्ट्रीय स्तर पर विकास का माध्यम भी है। शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल उपलब्ध कराती है।
कला ही आत्मिक शान्ति का माध्यम है। यह कठिन तपस्या है, साधना है। इसी के माध्यम से कलाकार सुनहरी और इन्द्रधनुषी आत्मा से स्वप्निल विचारों को साकार रूप देता है। संस्कृति किसी भी देश, जाति और समुदाय की आत्मा होती है। संस्कृति से ही देश, जाति या समुदाय के उन समस्त संस्कारों का बोध होता है जिनके सहारे वह अपने आदर्शों, जीवन मूल्यों, आदि का निर्धारण करता है। अतः संस्कृति का साधारण अर्थ होता है-संस्कार, सुधार, परिष्कार, शुद्धि, सजावट आदि।
प्राचीन ग्रंथों में स्पष्ट रूप से मानव के विकास, सुख और शांति की संतुष्टि व ज्ञान के लिए पर्यटन को अति आवश्यक माना गया है। हमारे देश के ऋषि मुनियों ने भी पर्यटन को प्रथम महत्व दिया है। पर्यटन से लोगों को विभिन्न संस्कृतियों, ऐतिहासिक स्थलों, और प्राकृतिक परिदृश्यों का अनुभव मिलता है. पर्यटन से लोगों को दुनिया भर के लोगों से जुड़ने का मौका मिलता है.
साहित्य जीवन का आधार है। साहित्य मानवीय रिश्तों को जोड़ता है. साहित्य हमें यह परिभाषित करने में मदद करता है कि क्या सही है और क्या गलत है. साहित्य हमें दूसरों को बेहतर ढंग से समझने में मदद करता है. साहित्य हमारी आलोचनात्मक सोच क्षमताओं में सुधार करता है. साहित्य हमें उन चीज़ों को समझने में मदद करता है जिन्हें आसानी से समझा और समझाया नहीं जा सकता है.
समाज में रहकर व्यक्ति का विकास होता है. समाज में रहने से व्यक्ति की हर तरह की ज़रूरतें पूरी होती हैं. समाज में रहने से व्यक्ति का चरित्र निर्माण होता है. समाज में रहकर व्यक्ति को अपने सुख-दुख बांटने के लिए किसी न किसी की ज़रूरत होती है. समाज में रहकर व्यक्ति को पहचान की ज़रूरत भी पूरी होती है. समाज में रहकर व्यक्ति को एक जटिल दुनिया में आगे बढ़ने के लिए ज़रूरी कौशल सीखने में मदद मिलती है.
We are here to help
कला और संस्कृति
कला मनुष्य की भावनाओं और विचारों को स्वाभाविक रूप से प्रकट करने का एक साधन है.
साहित्य और शिक्षा
साहित्य समाज को स्वस्थ कलात्मक ज्ञानवर्धक मनोरंजन प्रदान करता है.
पर्यटन और शिल्प
पर्यटन पर्यटकों को आराम, विश्राम, शिक्षा, मनोरंजन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अवसर प्रदान करता है.
संस्थान की प्रमुख समितियाँ
1. सागर कला भवन, अयोध्या, उ. प्र.
2. एस. बी. सागर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ऑर्ट. फैजाबाद, अयोध्या, उ.प्र. भारत
3. सरस्वती पुस्तकालय एवं अध्ययन केन्द्र
4. कोचिंग एण्ड गाइडेन्स सेन्टर
स्वदेश इण्डिया बुक ऑफ रिकार्ड तथा संस्थान में सदस्यता हेतु आवश्यक निर्देश :-
स्वदेश इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज कराने या नामांकन हेतु 3 सोपान / चरण- (1) ऑनलाइन काउन्सिलिंग, (II) ऑफ लाइन काउन्सिलिंग, (III) राष्ट्रीय कार्यक्रम में प्रदर्शन
सफल प्रतिभागियों को मिल सकता है-
1- सम्बन्धित सम्मान प्रमाण-पत्र
2- स्वदेश संस्थान, भारत का सदस्यता प्रमाण-पत्र
3- विशेष पुरस्कार- मोमेन्टो, मेडल, नगद पुरस्कार आदि ।
4- राष्ट्रीय स्तर की स्वदेश भारत स्मारिका जिसमें आपका संक्षिप्त परिचय, लेख, काव्य, शुभकामना, पेन्टिंग आदि का निःशुल्क प्रकाशन |
5- राष्ट्रीय पहचान एवं सम्मान ।
6- सरकारी या गैरसरकारी योजनाओं का लाभ
7- कलाकारों का सहयोग व सम्पर्क
8- उचित मार्गदर्शन एवं कैरियर
9- कला कौशल व नाइस पर्सनालिटी का अवसर
10- कला कार्य का उचित मूल्य एवं मूल्यांकन
11- समाजसेवियों व कलाकारों का एक राष्ट्रीय मंच
12- मीडिया में एक अलग पहचान
13- लीडरशिप का अवसर
14- रोजगार/ जॉब की संभावना
15- अनेक समस्याओं का समाधान आदि और भी बहुत कुछ……
We are here to help
पर्यटन, लोगों को अपने सामान्य वातावरण से परे अवकाश, व्यवसाय या अन्य उद्देश्यों के लिए गंतव्यों तक ले जाने की गतिविधि है.
एक वैश्विक उद्योग है. पर्यटन से कई देशों की अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह रोजगार, राजस्व सृजन और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में योगदान देता है.
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